UP चुनाव में भाजपा के समीकरण बिगाड़ सकती हैं ये तीन चीजें, जानें क्यों बढ़ रही मुश्किल

उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब आ रहा है। मंगलवार को आयोग की 13 सदस्यीय टीम लखनऊ पहुंची और चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया। इस बीच राज्य में भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस का चुनाव प्रचार जोरों पर है। सत्ताधारी दल भाजपा के लिए दिल्ली का द्वार कहे जाने वाले यूपी में एक बार फिर से सरकार बनाने की चुनौती है। एक तरफ भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के चेहरों पर चुनाव लड़ रही है तो वहीं हिंदुत्व, विकास और राष्ट्रवाद के मुद्दों पर जनता के बीच जा रही है। हालांकि उसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनसे पार न पाने पर उसके लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।

भाजपा अकसर कहती है कि उसमें हाईकमान कल्चर नहीं है और ग्रासरूट लेवल से जानकारियां ऊपर तक पहुंचती हैं, जिसके बाद तमाम फैसले लिए जाते हैं। हालांकि यूपी में कई नेताओं का कहना है कि उन्हें किनारे लगा दिया गया है। उनका कहना है कि अपने इलाके में किसी भी काम के लिए उन्हें सीएम ऑफिस से परमिशन लेनी पड़ती है।

राज्य के डिप्टी सीएम के भी कई बार सीएम के हाथ में ज्यादा ताकत होने से नाखुश होने की खबरें आई हैं। कहा जा रहा है कि हाईकमान कल्चर लागू होने और अधिकारियों को पूरी छूट मिलने से नेता किनारे लगा महसूस कर रहे हैं और काडर का उत्साह कम हुआ है। यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी की कई रैलियां प्रस्तावित हैं ताकि काडर प्रोत्साहित हो सके।

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