अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता ने भेजा दोनों अखाड़ा परिषद अध्यक्षों को नोटिस,सर्वसम्मति से तेरह अखाड़ो का चुनाव कराकर नई अखाड़ा परिषद के गठन की करी मांग
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने वर्तमान में संचालित दोनों अखाड़ा परिषद के अध्यक्षों को नोटिस भेज कर सभी तेरह अखाड़े के मध्य समन्वय बनाने की मांग की है। श्रवणनाथ नगर स्थित रामानंद आश्रम में प्रेस के माध्यम से बाबा हठयोगी ने कहा कि वर्तमान में अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो रखी है। दोनों अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमंहत रवींद्र पुरी (महानिर्वाणी) एवं श्रीमहंत रवींद्र पुरी (निरंजनी) को एकजुट होकर प्रयागराज महाकुंभ को सफल बनाने के लिए सभी तेरह अखाड़ो की बैठक बुलाकर विधिवत रूप से चुनाव कराकर नई अखाड़ा परिषद का गठन करना चाहिए। जिससे कि शासन प्रशासन से समन्वय बनाकर सभी संतो को कुंभ मेले के दौरान सुविधा प्राप्त हो सके और कुंभ मेला सकुशल संपन्न हो। उन्होंने नोटिस के माध्यम से दोनों अध्यक्षों को पंद्रह दिन के भीतर करवाई का आग्रह किया है और बताया है कि यदि दोनों संतों की तरफ से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की जाती है तो वह न्यायालय के माध्यम से कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रयागराज में प्रशासन के साथ बैठक के दौरान संतों के बीच आपस में विवाद हुआ उसे संपूर्ण समाज को एक नकारात्मक संदेश गया है। संतों की छवि भी लगातार धूमिल हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिष्ठा और पद के लालच में कुछ संत अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। स्वयंभू अध्यक्ष और महामंत्री बनकर समाज में भ्रम फैला रहे हैं। कहां की विगत हरिद्वार कुंभ में सरकार की ओर से सभी अखाड़ों को एक-एक करोड़ रुपए की धनराशि प्रदान की गई थी। वर्तमान में भी कुछ संतो द्वारा योगी सरकार से रुपयों की मांग की जा रही है जो कि सरासर गलत है। अखाड़े की धार्मिक संपत्ति पर बड़े-बड़े होटल एवं कमर्शियल फ्लैट्स बनाकर करोड़ों रुपए में बेचे जा रहे हैं। धर्म के प्रचार प्रसार एवं उत्थान में लगाए जाने वाले पैसे संत निजी रूप से प्रयोग कर रहे हैं। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि संतों में बिखराव के कारण वैष्णव अखाड़ा परिषद, तथा सन्यासी संतों की दो अखाड़ा परिषद अलग-अलग रूप से कार्य कर रही है। सर्वसम्मति से नई अखाड़ा परिषद का गठन होना चाहिए।