पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021 के अंत तक पाकिस्तान सरकार को इकॉनमी को स्थिर करने के लिए एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर रुख करना पड़ा है। डॉन ने बताया है कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने रुपया को स्थिर करने के लिए कई उपाय किए हैं। फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (FIA) ने अमेरिकी करेंसी के आउटफ्लो को प्रतिबंधित करने और इसकी मांग को कम करने के लिए जमाखोरों और तस्करों पर लगातार कार्रवाई कर रही है।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की मौजूदा सरकार के तहत पिछले तीन साल और चार महीने में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में 30.5 फीसद की गिरावट आई है। पाकिस्तानी रुपये का मूल्य अगस्त 2018 में डॉलर के मुकाबले 123 रुपये से गिरकर दिसंबर 2021 में 177 रुपये हो गया है। पिछले 40 महीनों यह 30.5 फीसद की गिरावट है। यह इसे देश के इतिहास में करेंसी के हाई डीवैल्यूएशन में से एक बनाता है।
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