उत्तर प्रदेश भाजपा में बवाल -संजय श्रीवास्तव

देहरादून

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाकात राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से हुई है। वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली बुलाया गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी लंबी बातचीत हुई है। लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह की स्थिति उत्तर प्रदेश भाजपा में देखने को मिल रही है उसमें मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान होने की बात सामने आ रही है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। वह लगातार दिल्ली में सक्रिय रहकर मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दावा कर रहे थे। इसके लिए भाजपा के कई केंद्रीय नेताओं का उन्हें समर्थन भी मिल रहा था। यही कारण रहा है कि वह बहुत उत्साहित नजर आ रहे थे। उन्होंने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी। वहीं दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ किसी भी कीमत में मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। योगी के हठ को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने भी उनके सामने हथियार डाल दिए हैं। अब हद यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केशव प्रसाद मौर्य को मंत्रिमंडल से हटाने की जिद पकड़ ली है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य ने सरकार से बड़ा संगठन है, कहकर सियासी संग्राम को आर-पार की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच में जो रस्सा-कसी देखने को मिल रही है। उसके बाद यह माना जा रहा है, कि मुख्यमंत्री के पद पर तो योगी आदित्यनाथ बने रहेंगे, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से हटाए जाएंगे। उन्हें संगठन में लाया जा सकता है। यह भी हो सकता है, कि उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति से हटाकर केंद्रीय राजनीति में सक्रिय किया जाए। इस राजनीतिक उठापटक के बीच ही उत्तर प्रदेश में जल्द ही 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना हैं। इनमें से 9 सीटों पर भाजपा काबिज थी। यह उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए जीतना बहुत जरूरी हो गया है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो इसका असर तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पड़ना तय है। भविष्य में भी भाजपा के उत्तर प्रदेश में कमजोर होने से राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा। संभवत: इस वजह से भी केशव प्रसाद मौर्य पद और प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में अलग-थलग पड़ गए हैं। इसमें उन्हें अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा नुकसान होने जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में जिस तरह का घमासान मचा हुआ है। आने वाले उपचुनाव में इसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। केंद्रीय नेताओं ने अब जाकर इसे समझा है। पर इससे क्या, क्योंकि राजनीतिक गलियारे में तो इसे लेकर जमकर घमासान हो चुका है और उसे न सिर्फ राज्य ने बल्कि पूरे देश ने भी देखा और पढ़ा है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों को देखते हुए भाजपा देश की राजनीति को उत्तर प्रदेश पर केंद्रित करना चाह रही थी, लेकिन उसके बाद जो हुआ वह कहीं से भी पार्टी के हित में नहीं था। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पहले इस विवाद की आग में घी डालने का काम किया गया था। अब आग बुझाने के प्रयास किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में चल रहे इस विवाद में किस हद तक भाजपा सरकार और संगठन को हुए नुकसान होने से बचा पाती है। इसका फैसला भविष्य ही तय करेगा।