कावड़ यात्रा के दौरान गैर हिंदुओं का हिंदू नाम से होटल और ढाबे चलने के मामले पर इस समय सियासी घमासान मचा हुआ है। वहीं हरिद्वार के ज्वालापुर में कई मुस्लिम परिवार पिछले कई सालों से अपने हाथों से कांवड़ तैयार कर ना सिर्फ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हैं बल्कि अपने लिए रोजगार भी जुटाते हैं, एक रिपोर्ट
धर्मनगरी हरिद्वार में सावन की कांवड ले जाने के लिए कांवड़िए पहुंचने शुरू हो गए हैं। शिव भक्त कांवड़िए हरिद्वार पहुंचकर यहां से कावड़ का सामान खरीदते हैं और फिर उसे तैयार कर गंगाजल भरकर अपने गंतव्य को रवाना होते हैं। ये देश की कौमी एकता की मिसाल ही है कि आस्था की सबसे बड़ी यात्रा के लिए कावड़ तैयार करने वाले ज्यादातर कारीगर मुस्लिम है। हरिद्वार के अलावा दूसरे कई शहरों में भी मुस्लिम कारीगर ही कावड़ बनाते हैं। हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में लालपुल रेलवे लाइन के पास बसी मुस्लिम बस्ती के दर्जनों परिवार पिछले कई दशकों से रंग बिरंगी कांवड बना रहे हैं। उनका कहना है कि कांवड बनाने से उनके मन को सुकून भी मिलता है और ये उनका रोजगार भी है।
कांवड बनाने वाले कुछ कारीगर ऐसे हैं जो कई पीढियां से हर साल तैयार करते हैं। कई तरह की कांवड़ बनाने में माहिर कारीगर मोहम्मद सिकंदर का कहना है कि वे पिछले 35 सालों से कावड़ बनाते हैं। उनकी पहली पीढ़ियां भी यह काम करती थी। रमजान के महीने से कावड़ बनाने की शुरुआत कर दी जाती है। कावड़ बनाते वक्त उसमें साफ सफाई और शुद्धता का ख्याल रखा जाता है। कावड़ मेला आने पर इन करोड़ को बाजार में जाकर बेचा जाता है।